दौर में क्या उस के कोई नौबत-ए-इशरत बजाए By Sher << देखा ज़ाहिद ने जो उस रू-ए... चुपके चुपके रोते हैं मुँह... >> दौर में क्या उस के कोई नौबत-ए-इशरत बजाए जब कि ख़ुद गर्दूं हो इक औंधा सा नक़्क़ारा पड़ा Share on: