दयार-ए-यार का शायद सुराग़ लग जाता By Sher << मिरी ज़मीं मुझे आग़ोश में... है पाश पाश मगर फिर भी मुस... >> दयार-ए-यार का शायद सुराग़ लग जाता जुदा जो जादा-ए-मक़सूद से सफ़र होता Share on: