दीवार ओ दर झुलसते रहे तेज़ धूप में By Sher << ऐ ख़ुदा तू ही बे-मिसाल नह... तू मर्द-ए-मोमिन है अपनी म... >> दीवार ओ दर झुलसते रहे तेज़ धूप में बादल तमाम शहर से बाहर बरस गया Share on: