देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से By Sher << एक तीर-ए-नज़र इधर मारो तू ही बेहतर है आइना हम से >> देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से Share on: