देखा जो खा के तीर कमीं-गाह की तरफ़ By Sher << देखा न कारोबार-ए-मोहब्बत ... चराग़-ए-ख़ाना-ए-दर्वेश हू... >> देखा जो खा के तीर कमीं-गाह की तरफ़ अपने ही दोस्तों से मुलाक़ात हो गई Share on: