देखूँगा किस क़दर तिरी रहमत में जोश है By Sher << हाल बीमार का पूछो तो शिफ़... चराग़-ए-इल्म रौशन-दिल है ... >> देखूँगा किस क़दर तिरी रहमत में जोश है परवरदिगार मुझ को गुनाहों का होश है i will see to what extent your mercy is sublime my lord i am aware of the nature of my crime Share on: