देर तक ज़ब्त-ए-सुख़न कल उस में और हम में रहा By Sher << जिन के होंटों पे हँसी पाँ... लगा जब यूँ कि उकताने लगा ... >> देर तक ज़ब्त-ए-सुख़न कल उस में और हम में रहा बोल उठे घबरा के जब आख़िर के तईं दम रुक गए Share on: