देता रहा वो गालियाँ और मैं रहा ख़मोश By Sher << गर्मी बहुत है आज खुला रख ... बग़ैर उस के अब आराम भी नह... >> देता रहा वो गालियाँ और मैं रहा ख़मोश फिर यूँ हुआ कि वो मिरे क़दमों में गिर गया Share on: