देवता मेरे आँगन में उतरेंगे कब ज़िंदगी भर यही सोचता रह गया By Sher << ये पूछ आ के कौन नसीबों जि... पाँव उठते हैं किसी मौज की... >> देवता मेरे आँगन में उतरेंगे कब ज़िंदगी भर यही सोचता रह गया मेरे बच्चों ने तो चाँद को छू लिया और मैं चाँद को पूजता रह गया Share on: