धानी जूड़े पे तिरे साँवले मैं मरता हूँ By Sher << क्या क्या रोग लगे हैं दिल... फिर वही शाम वही दर्द वही ... >> धानी जूड़े पे तिरे साँवले मैं मरता हूँ मर भी जाऊँ तो कफ़न देख के काही देना Share on: