धुँद में खो के रह गईं सूरतें मेहर-ओ-माह सी By Sher << अजीब दर्द का रिश्ता है सा... आसमानों में उड़ा करते हैं... >> धुँद में खो के रह गईं सूरतें मेहर-ओ-माह सी वक़्त की गर्द ने उन्हें ख़्वाब-ओ-ख़याल कर दिया Share on: