ढूँढता है मुझे वो तेग़ लिए और मैं वहीं By Sher << इस क़दर महव-ए-तसव्वुर हूँ... वहशत में बसर होते हैं अय्... >> ढूँढता है मुझे वो तेग़ लिए और मैं वहीं डर के मारे पस-ए-दीवार छुपा बैठा हूँ Share on: