दिल दर्द की भट्टी में कई बार जले है By Sher << हमें क़ुबूल नहीं छोटा मुँ... ग़म-ओ-अलम से जो ताबीर की ... >> दिल दर्द की भट्टी में कई बार जले है तब एक ग़ज़ल हुस्न के साँचे में ढले है Share on: