दिल दिया वहशत लिया और ख़ुद को रुस्वा कर लिया By Sher << जब राख से उट्ठेगा कभी इश्... इक मुसलसल जंग थी ख़ुद से ... >> दिल दिया वहशत लिया और ख़ुद को रुस्वा कर लिया मुख़्तसर सी ज़िंदगी में मैं ने क्या क्या कर लिया Share on: