दिल-ए-पुर-शौक़ की क़िस्मत में लिखी है नाकामी By Sher << मैं दिल को चीर के रख दूँ ... वो तो मूसा हुआ जो तालिब-ए... >> दिल-ए-पुर-शौक़ की क़िस्मत में लिखी है नाकामी ये इक नाज़ुक सी शय क्यों इस तरह ठुकराई जाती है Share on: