दिल है कि तिरे पाँव से पाज़ेब गिरी है By Sher << आज रक्खे हैं क़दम उस ने म... मुझे भी अक़्ल परेशान करती... >> दिल है कि तिरे पाँव से पाज़ेब गिरी है सुनता हूँ बहुत देर से झंकार कहीं की Share on: