दिल जो दे कर किसी काफ़िर को परेशाँ हो जाए By Sher << हो गया आइना-ए-हाल भी गर्द... वस्ल नुक़सान कर गया मेरा >> दिल जो दे कर किसी काफ़िर को परेशाँ हो जाए आफ़ियत उस की है इस में कि मुसलमाँ हो जाए Share on: