दिल के दरिया ने किनारों से मोहब्बत कर ली By Sher << रात अब अपने इख़्तिताम पे ... वो क़ुलक़ुल-ए-मीना में चर... >> दिल के दरिया ने किनारों से मोहब्बत कर ली तेज़ बहता है मगर कम नहीं होने पाता Share on: