दिल के दो हिस्से जो कर डाले थे हुस्न-ओ-इश्क़ ने By Sher << इस दिल में तो ख़िज़ाँ की ... ज़िंदगी देख तिरी ख़ास रिआ... >> दिल के दो हिस्से जो कर डाले थे हुस्न-ओ-इश्क़ ने एक सहरा बन गया और एक गुलशन हो गया Share on: