दिल ख़स्ता हो तो लुत्फ़ उठे कुछ अपनी ग़ज़ल का By Sher << गर्दिश में साथ उन आँखों क... दस्त-ए-जुनूँ ने फाड़ के फ... >> दिल ख़स्ता हो तो लुत्फ़ उठे कुछ अपनी ग़ज़ल का मतलब कोई क्या समझेगा मस्तों की ज़टल का Share on: