दिल की खेती सूख रही है कैसी ये बरसात हुई By Sher << न ख़ंजर उठेगा न तलवार इन ... तू इक क़दम भी जो मेरी तरफ... >> दिल की खेती सूख रही है कैसी ये बरसात हुई ख़्वाबों के बादल आते हैं लेकिन आग बरसती है Share on: