दिल को अपने क्या किसी का घर कहूँ By Sher << मुश्किल है रोक आह-ए-दिल-ए... वाए ग़ुर्बत कि हुए जिस के... >> दिल को अपने क्या किसी का घर कहूँ आज ख़ल्वत-ख़ाना कल बाज़ार है Share on: