दिल सदा तड़पे है मेरा मुर्ग़-ए-बिस्मिल की तरह By Sher << जिसे न आने की क़स्में मैं... ख़ुद को पाया था न खोया मै... >> दिल सदा तड़पे है मेरा मुर्ग़-ए-बिस्मिल की तरह या कि सीखी मुर्ग़-ए-बिस्मिल ने मिरे दिल की तरह Share on: