दिल से दिल नज़रों से नज़रों के उलझने का समाँ By Sher << घर हमारा फूँक कर कल इक पड... अजीब लुत्फ़ कुछ आपस की छे... >> दिल से दिल नज़रों से नज़रों के उलझने का समाँ जैसे सहराओं में नींद आई हो दीवानों को Share on: