दिल तो पहले ही जुदा थे यहाँ बस्ती वालो By सोशल डिस्टेन्सिंग शायरी, Sher << अज़ीज़ गर था तअल्लुक़ तो ... बस एक बार वो आया था सैर क... >> दिल तो पहले ही जुदा थे यहाँ बस्ती वालो क्या क़यामत है कि अब हाथ मिलाने से गए Share on: