दिल-ए-फ़सुर्दा पे सौ बार ताज़गी आई By Sher << दिए जलाए उम्मीदों ने दिल ... दर्द मेराज को पहुँचता है >> दिल-ए-फ़सुर्दा पे सौ बार ताज़गी आई मगर वो याद कि जा कर न फिर कभी आई Share on: