दिल-ए-उश्शाक़ क्यूँ न हो रौशन By Sher << इस ज़माने में बुज़ुर्गी स... ख़त-ए-शौक़ को पढ़ के क़ास... >> दिल-ए-उश्शाक़ क्यूँ न हो रौशन जब ख़याल-ए-सनम चराग़ हुआ Share on: