दिल-ओ-नज़र को अभी तक वो दे रहे हैं फ़रेब By Sher << कान सुनते तो हैं लेकिन न ... अब दर्द में वो कैफ़ियत-ए-... >> दिल-ओ-नज़र को अभी तक वो दे रहे हैं फ़रेब तसव्वुरात-ए-कुहन के क़दीम बुत-ख़ाने Share on: