दिमाग़ उन के तजस्सुस में जिस्म घर में रहा By Sher << इक तबस्सुम हज़ार-हा आँसू आरज़ू की ये सज़ा है कि ज़... >> दिमाग़ उन के तजस्सुस में जिस्म घर में रहा मैं अपने घर ही में रहते हुए सफ़र में रहा Share on: