दिन भर जो सूरज के डर से गलियों में छुप रहते हैं By Sher << हाँ दिखा दे ऐ तसव्वुर फिर... ख़याल-ए-नाफ़ में ज़ुल्फ़ो... >> दिन भर जो सूरज के डर से गलियों में छुप रहते हैं शाम आते ही आँखों में वो रंग पुराने आ जाते हैं Share on: