दिन रात यहाँ पुतलियों का नाच रहे है By Sher << मैं कामयाब-ए-दीद भी महरूम... लोग सदमों से मर नहीं जाते >> दिन रात यहाँ पुतलियों का नाच रहे है हैरत है कि तू महव-ए-तमाशा नहीं होता Share on: