दो गज़ ज़मीं फ़रेब-ए-वतन के लिए मिली By Sher << एक तरफ़ रू-ए-जानाँ था जलत... दिलों की उक़्दा-कुशाई का ... >> दो गज़ ज़मीं फ़रेब-ए-वतन के लिए मिली वैसे तो आसमाँ भी बहुत हैं ज़मीं बहुत Share on: