दो पाँव हैं जो हार के रुक जाते हैं By Sher << इक मौज-ए-फ़ना थी जो रोके ... देखो तो हर इक शख़्स के हा... >> दो पाँव हैं जो हार के रुक जाते हैं इक सर है जो दीवार से टकराता है Share on: