दोनों चश्मों से मरी अश्क बहा करते हैं By Sher << रात भर ख़्वाब देखने वाले मंज़र था राख और तबीअत उदा... >> दोनों चश्मों से मरी अश्क बहा करते हैं मौजज़न रहता है दरिया के किनारे दरिया Share on: