दोस्ती इश्क़ और वफ़ादारी By Sher << कूज़ा-गर ने जब मेरी मिटी ... कभी कभी तो मोहब्बत की ज़ि... >> दोस्ती इश्क़ और वफ़ादारी सख़्त जाँ में भी नर्म गोशे हैं Share on: