डूब जाऊँ तो कोई मौज निशाँ तक न बताए By Sher << सुनते हैं उस ने ढूँड लिया... मेरे नग़्मात की तक़दीर न ... >> डूब जाऊँ तो कोई मौज निशाँ तक न बताए ऐसी नद्दी में उतर जाने को जी चाहता है Share on: