डुबो दी थी जहाँ तूफ़ाँ ने कश्ती By Sher << किसी मंज़िल में भी हासिल ... बात ये है कि बात कोई नहीं >> डुबो दी थी जहाँ तूफ़ाँ ने कश्ती वहाँ सब थे ख़ुदा क्या ना-ख़ुदा क्या Share on: