दूद-ए-आह-ए-जिगरी काम न आया यारो By Sher << मैं क्या कहूँ कहाँ है मोह... मरने वाला ख़ुद रूठा था >> दूद-ए-आह-ए-जिगरी काम न आया यारो वर्ना रू-ए-शब-ए-हिज्र और भी काला करता Share on: