दुख उदासी मलाल ग़म के सिवा By Sher << अब कहाँ तक पत्थरों की बंद... ख़ल्वत हो और शराब हो माशू... >> दुख उदासी मलाल ग़म के सिवा और भी है कोई मकान में क्या Share on: