दुनिया हमें फ़रेब पे देती रही फ़रेब By Sher << हमें भी ग़ुंचा-ओ-गुल से ब... न बूझो आसमाँ पर तुम सितार... >> दुनिया हमें फ़रेब पे देती रही फ़रेब हम देखते रहे निगह-ए-ए'तिबार से Share on: