दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब By Sher << उस ने इख़्लास के मारे हुए... कहीं आँसुओं से लिखा हुआ क... >> दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो Share on: