दुश्मन-ए-जाँ है मगर जान से प्यारा भी है By Sher << ग़ज़ब तो ये है वो ऐसा कह ... दर्द की धूप ढले ग़म के ज़... >> दुश्मन-ए-जाँ है मगर जान से प्यारा भी है ऐसा इस शहर में इक शख़्स हमारा भी है Share on: