दुश्मन-ए-जाँ हैं सभी सारे के सारे क़ातिल By Sher << अब कौन फिरे कू-ए-बुत-ए-दु... ग़म का ख़ज़ाना तेरा भी है... >> दुश्मन-ए-जाँ हैं सभी सारे के सारे क़ातिल तू भी इस भीड़ में कुछ देर ठहर जा ऐ दिल Share on: