ऐ इंक़लाब-ए-नौ के उजाले कहाँ है तू By Sher << हवस के नाग ने दिन रात रक्... आया है कोई पुर्सिश-ए-अहवा... >> ऐ इंक़लाब-ए-नौ के उजाले कहाँ है तू सड़कों पे मेरे शहर की कब तक धुआँ रहे Share on: