ऐ इंक़लाब-ए-नौ तिरी रफ़्तार देख कर By Sher << अपने पराए थक गए कह कर हर ... अहद-ए-आग़ाज़-ए-तमन्ना भी ... >> ऐ इंक़लाब-ए-नौ तिरी रफ़्तार देख कर ख़ुद हम भी सोचते हैं कि अब तक कहाँ रहे Share on: