ऐ इश्क़ तू हर-चंद मिरा दुश्मन-ए-जाँ हो By Sher << दोस्त नाराज़ हो गए कितने मीठे पानी की नद्दी क्यूँ ... >> ऐ इश्क़ तू हर-चंद मिरा दुश्मन-ए-जाँ हो मरने का नहीं नाम का मैं अपने 'बक़ा' हूँ Share on: