ऐ ज़ब्त एक थोड़ी सी बाक़ी थी आबरू By Sher << हुज़ूर आप कोई फ़ैसला करें... दम ग़नीमत है सालिको मेरा >> ऐ ज़ब्त एक थोड़ी सी बाक़ी थी आबरू रोने ने रात-दिन के मिटा दी रही-सही Share on: