ऐ जल्वा-ए-जानाना फिर ऐसी झलक दिखला By Sher << एहसान ज़िंदगी पे किए जा र... हमारी महफ़िलों में बे-हिज... >> ऐ जल्वा-ए-जानाना फिर ऐसी झलक दिखला हसरत भी रहे बाक़ी अरमाँ भी निकल जाए Share on: