ऐ जुनूँ फिर मिरे सर पर वही शामत आई By दिल, ज़ुल्फ़, रोमांटिक, Sher << मैं आख़िर आदमी हूँ कोई लग... आँख खुलते ही बस्तियाँ तार... >> ऐ जुनूँ फिर मिरे सर पर वही शामत आई फिर फँसा ज़ुल्फ़ों में दिल फिर वही आफ़त आई Share on: