ऐ मर्द-ए-ख़ुदा हो तू परस्तार बुताँ का By Sher << टलना था मेरे पास से ऐ काह... ज़िंदगी से तो ख़ैर शिकवा ... >> ऐ मर्द-ए-ख़ुदा हो तू परस्तार बुताँ का मज़हब में मिरे कुफ़्र है इंकार बुताँ का Share on: